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    कब्ज के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे (acidity ke liye aayurvedic nuskhe)-

    कब्ज के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे (acidity ke liye aayurvedic nuskhe)-
                    आधुनिक समय के खान पान के कारण अधिकांश लोगों को कब्ज की समस्या होती है । जिस कारण उनका पेट साफ नही होता साथ ही कई अन्य बीमारियों के शिकार भी हो जाते है क्यों कि शरीर मे 90% बीमारियां पेट के कारण हिती है ।
                  यहां कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय बताए जा रहे है जो कब्ज से छुटकारा दिलाने में लाभदायक है ।

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    1 :- सुबह के समय पपीता खाकर दूध पिने से कब्ज दूर होती हैं.

    2 :-  63 ग्राम तिल कुटकात मीठा मिळकर खाने से कब्ज दूर होती हैं.

    3 :- 6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को शहद में मिलाकर रात में खाने और ऊपर से गर्म दूध पिने से कब्ज मिट जाती हैं.

    4 :- सरसों के तेल से पेट की आहिस्ता-आहिस्ता मालिश करने से कब्ज दूर होती हैं.

    5 :- इसबगोल को दस्त-पेचिश के कष्ट में ताज़ा दही या छाछ के साथ सेवन किया जा सकता हैं.
    कुछ दिनों तक रोजाना तरबूज खाने से भी कब्ज दूर होती हैं.

    6  :- एक मुरब्बे की हरड़ रात को खाकर दूध पिने से सुबह दस्त साफ़ आता हैं और कब्ज दूर होती हैं.

    7 :- 6 माशा काला नमक घी में भूनकर गर्म पानी के साथ खाने से तीन चार दस्त आते हैं.

    8 :- पका हुआ खरबूजा खाने से भी कब्ज दूर होती हैं

    9 :- एक नग कच्चा प्याज रोजाना के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती हैं

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    10 :- अगर आपको कई समय से कब्ज हैं तो अंजीर खाये, क्योंकि अंजीर स्थायी कब्ज के लिए बेहतरीन उपाय हैं.

    11 :-रोजाना 50 ग्राम कच्चा टमाटर खाने से कब्ज दूर होती हैं

    @ प्राकृतिक व आयुर्वेदिक रामबाण उपाय घरेलु चिकित्सा-

    1:- अमरुद का उपयोग-
                       ऐसा देखा गया हैं की अमरूद का सेवन करने से हमारे पेट की आंतों में तरावट आती हैं और कब्ज से छुटकारा मिलता हैं. इसे रोटी खाने (भोजन) से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि रोटी खाने के बाद अमरुद खाने से क़ब्ज़ होती हैं. इसलिए कब्ज वाले रोगियों को नाश्ते में अमरुद लेना चाहिए. पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम दोनों समय अमरुद खाना चाहिए . ऐसा करने से दस्त साफ़ आएंगे, अजीर्ण और गैस दूर होगी तथा खुलकर भूख लगेगी. अमरुद को सेंधा नमक एक साथ खाने से पाचनशक्ति भी बढ़ती हैं.

    @  स्वदेशी चिकित्सा –
                    
    1:-   गौ मूत्र को सुबह खाली पेट दो या चार चम्मच गरम पानी के साथ लेने से पेट पूरी तरह से साफ हो जाता हैं.

    2 :- कब्ज के लिए पांच द्रव्यों की आयुर्वेदिक औषधि
    सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, छिलका हरड़, आंवला, बहेड़ा और पांच तरह के नमक अलग-अलग, जुलाल हरड़ 25-25 ग्राम, सनाय की पत्ती 3०० ग्राम सभी को कूट पीसकर सोने के समय रात में तीन से छह ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से कब्ज, अफरा और भूख की कमी दूर हो जाती हैं. नई पुरानी कब्ज से छुटकारा मिलता हैं.

    3 :- छुहारे का उपयोग-
                  रोजाना सुबह शाम 3 छुहारे खाकर गर्म पानी पिए, यदि छुहारे सख्त होने के कारण खाने संभव न हो, तो दूध में उबालकर भी ले सकते हैं. छुहारे नित्य खाते रहने से बवासीर, स्नायविक दुर्बलता दूर होकर रक्त का संचरण ठीक होता हैं. इसके प्रयोग से कब्ज में रामबाण लाभ होता हैं. छुहारे के और भी कई अनेक लाभ होते हैं, जो की इस प्रयोग को करने से मिल जायेंगे.
               सुबह के समय छुहारे पानी में भिगो दें तथा रात्रि के समय इन्हें चबा-चबाकर खाए. भोजन कम मात्रा में करे अथवा रात्रि के समय 2 नग छुहारे दूध में उबालकर लें. इन प्रयोग से भी क़ब्ज़ दूर होती हैं.

    @ पुरानी कब्ज के लिए देसी इलाज-
                        पुरानी कब्ज , अरुचि, अग्निमांध व गैस होने पर भोजन के साथ मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर 2 महीने तक रोजाना खाने से कई अनेकों लाभ होते हैं. (पेट के सभी रोगों में मूली की चटनी, अचार व सब्जी खाना उपयोगी हैं) इसीलिए प्राचीन समय से भोजन के साथ मूली का सलाद के रूप में उपयोग किया जाता आ रहा हैं. आज भी इसका उपयोग किया जाता हैं. इसके रोजाना के सेवन से कब्ज नहीं होता हैं. क्योंकि इसमें भी एक कब्ज के आयुर्वेदिक नुस्खे के जितने गुण होते हैं.

    @ गेहूं के जरिये कब्ज से निजात पाए-
                           गेहूं का यह कब्ज से निजात पाने का उपाय जो की किसी भी आयुर्वेदिक रामबाण इलाज से कम नहीं हैं, इसका सेवन जरूर करे. गेहूं के आटे को मैदे की छलनी से छान लें और जो चोकर (चपड़ या भूसी) निकले, उसे तवे पर भून लें. उसे इतना भुने की वह लाल हो जाए, लेकिन ध्यान रहे की यह कच्ची न रहे और जले भी नहीं. फिर इस भुनी हुई चोकर को दूध, शक्कर, पानी में डालकर खूब उबाले. इसके बाद छानकर पिए.
    इसका स्वाद कॉफ़ी के सामान होगा. इसके सेवन से आपको तुरंत नई स्फूर्ति मिलेगी. क्योंकि इसमें “प्रोटीन” बहुत ज्यादा मात्रा में होता हैं. इस प्रयोग से कब्ज, गैस, रोग, ब्लड प्रेशर व हार्ट अटैक में लाभ मिलता हैं. यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने का एक रामबाण टॉनिक हैं. इसके कुछ दिनों के प्रयोग से ही आपको कब्ज में ढेरों लाभ मिलने लगेगा.

    @ मुनक्के खाने से भी होगा लाभ-
                    मुनक्के में भी तुलसी अलोएवेरा जैसे अमृत तुल्य गुण होते हैं. यह कई रोगों में रामबाण काम करता हैं. किसी भी रोग में इनका सेवन भी बहुत आसान होता हैं, इनके सेवन के लिए आपको कोई औषधि भी नहीं बनानी होती हैं. यहां कब्ज के लिए आपको बस रोजाना 10 मुनक्के गर्म दूध में उबालकर खाना हैं. इस तरह से उपयोग करने पर कुछ ही दिनों में आपको फायदा नजर आने लगेगा.

    @ नींबू का कब्ज में आयुर्वेदिक उपयोग-
                  एक नीबू का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ रात को सोते समय सेवन करने से पूरी तरह से पेट साफ़ हो जाता हैं. पूरी तरह खुलकर मल आता हैं. व पेट की आंतड़ियों फंसा हुआ मल भी बाहर निकल जाता हैं. इसके लिए इस प्रयोग का रोजाना उपयोग करे.
                 नीबू का रस और शक्कर 12-12 ग्राम 1 गिलास पानी में मिलाकर रात के समय रोजाना कुछ दिनों तक सेवन करने से कुछ ही दिनों में पुरानी कब्ज दूर हो जाती हैं. यह पुरानी कब्ज को दूर करने के लिए सबसे अच्छा घरेलु उपाय हैं. इसे आप बेफिक्र होकर प्रयोग में जरूर लाये.

    @ नारंगी का रस पिए बहुत लाभ होंगे-
                  (Orange juice for treatment) रोजाना सुबह के समय नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता हैं तथा पाचनशक्ति बढ़ती हैं. नारंगी का रस बेरी-बेरी रोग, स्कर्वी, जोड़ों का दर्द तथा शोथ में भी लाभप्रद होता हैं. यह हृदय मस्तिष्क और यकृत को शक्ति और स्फूर्ति देता हैं. कब्ज के रोगी को इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता हैं की इसके रोजाना के प्रयोग से पेट पूरी तरह से साफ़ हो जाता हैं.
                   और इसके रोजाना के सेवन से भविष्य में कभी कब्ज की शिकायत भी नहीं होती. अभी भी ऐसे कई व्यक्ति हैं जो की आज भी नारंगी के रस के सहारे उपवास करते हैं. क्योंकि इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं जो पाचन शक्ति को पूरी तरह से निरोगी व स्वस्थ बनाते हैं. अगर आप कब्ज की बीमारी से ज्यादा ही ग्रसित हैं तो सप्ताह में 2-3 दिन नारंगी के रस के सहारे उपवास जरूर करे. यह कब्ज के घरेलु इलाज में सबसे उत्तम हैं.


    @  (Apple) सेब भी कब्ज के इलाज में लाभ -
                    रोजाना नियमित रूप से भूखे पेट सेब (apple) खाने से क़ब्ज़ ख़त्म होती हैं. खाना खाने के बाद सेब नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कब्ज होती हैं. सेब का छिलका दस्तावर होता हैं इसलिए कब्ज वाले रोगियों को सेब को उसके छिलके सहित खाना चाहिए तथा दस्त वाले रोगियों को सेब बिना छिलके के खाना चाहिए.
    (जिन्हें कब्ज हैं वह रोजाना सुबह के समय भूखे पेट 1-2 सेब खाये, याद रखे सेब को चाकू से काट कर न खाये, सेब को उसके छिलकों सहित खाये, कुछ ही दिनों में कब्ज ( constipation) के इस आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से आपको लाभ नजर आने लगेगा.

    @ सिर्फ आधे घंटे में पेट साफ़ करे और कब्ज से छुटकारा पाए इस दवा से-
                       Silicea 200 होम्योपैथिक दवा को 10 मिनट के interval में तीन बार लेने से सिर्फ आधे घंटे में ही पेट साफ़ हो जाता हैं. तीन बून्द, तीन बार दस-दस मिनट की गैप में. इसकी और अधिकार जानकारी पाने के लिए होम्योपैथिक दवा मिलने वाले स्थान पर प्राप्त की जा सकती हैं. यह दवा भी आपको होम्योपैथिक की दुकान पर ही मिलेगी.

    @ कब्ज के लिए चूर्ण-
                  यह तो आपको भी पता हैं की कब्ज से निजात पाने के लिए पेट को साफ़ करना बहुत जरुरी होता हैं. पेट को पूरी तरह से साफ़ करने के लिए आपको यह आयुर्वेदिक उपाय जरूर आजमाना चाहिए इन हिंदी में. यह कब्ज का चूरन हैं, यह चूर्ण आपको बहुत ही लाभ देगा.
    रात को 1 चम्मच पिसे हुए आंवले का चूर्ण पानी या दूध के साथ लेने से सुबह दस्त साफ़ आता है और कब्ज नहीं रहती हैं. इससे आंते और पेट पूरी तरह से साफ़ रहता हैं. (अगर आपके पास आवलें का पाउडर चूर्ण नहीं हैं तो आप बाजार में से किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर पर जाकर पिसे हुए आवलें का पाउडर प्राप्त कर सकते हैं).

    @ कब्ज रोग के लिए 2 आसान व रामबाण उपाय-

    1. रात को सोते समय फूल गोभी का रस पिने से कब्ज पूरी तरह से दूर हो जाता हैं. इस प्रयोग को आप कभी भी आजमा सकते हैं. फूल गोभी का यह प्रयोग कब्ज के रोगी को कई फायदे देगा, उसके खून को बढ़ाएगा, पेट के रोगों को ठीक करेगा व पाचन तंत्र को पूरी तरह से स्वस्थ करेगा.

    2. करमकल्ला cabbage के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुरानी कब्ज दूर होती हैं. शरीर में व्याप्त विजातीय पदार्थ (दोषपूर्ण पदार्थ) गुदा मार्ग से बाहर निकल जाते हैं. यानी पेट की आंतड़ियों में फंसे हर तरह के पदार्थ को यह शरीर से बाहर निकालने में मदद करता हैं. यह अब तक के आसान में से एक हैं. इसमें सिर्फ आपको करमकल्ला के पत्तों का ही सेवन करना हैं.

    @ बथुआ एक आयुर्वेदिक उपाय-
                बथुआ कब्ज को दूर करता हैं तथा इसके साथ ही अमाशय को शक्ति देता हैं. बथुए का साग दस्तावर होता हैं. कब्ज के रोगियों को बथुए का साग रोजाना खाना चाहिए. कुछ सप्ताह में रोजाना बथुए की सब्जी खाते रहने से हमेशा रहने वाली पुरानी से पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती हैं. यह भी पुरानी कब्ज का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज हैं. इसके सेवन से शारीरिक शक्ति भी बढ़ती हैं और शरीर में नई स्फूर्ति आती हैं. इसके लिए रोजाना बथुए की सब्जी खाना बिलकुल न भूले.

    @ करेले का प्रयोग-
                  करेले का मूल अरिष्ट जो होमियोपैथी में मोमार्डीको केरनिष्य Q नाम से मिलता हैं. इसकी 5 से 10 बून्द दवा 1 चम्मच पानी में मिलाकर (पानी अधिक भी ले सकते हैं) दिन में चार बार सेवन करे. इस इलाज से कब्ज बड़ी आसानी से दूर हो जाएगी. आप इसको किसी भी आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक स्टोर्स पर जाकर इसको खरीद सकते हैं. इसके बाद बताई गई विधि अनुसार इससे कब्ज का ट्रीटमेंट करे. जल्द ही आराम होगा.

    @ एक भाग चावल में 2 भाग मूंग की दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर खानेसे कब्ज दूर होती हैं. यह एक घरेलु चिकित्सा हैं, जिसे हम
    दादी मां के घरेलु नुस्खे कहते हैं.

    @ इसबगोल का प्रयोग-
                           गर्म दूध के साथ इसबगोल की भूसी या गुलाब का गुलकंद लेने से शौच खुलकर आता हैं. बवासीर के रोगियों के लिए यह प्रयोग बहुत लाभकारी होता हैं. इसके साथ ही जिनका कब्ज के वजह से ठीक से पेट साफ़ नहीं हो पता हो तो इस उपाय का उपयोग किया जा सकता हैं. इससे पेट साफ़ होकर कब्ज में पूरा लाभ मिलेगा.
    यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ घरेलु इलाज का भी काम करेगा. एक या दो मुट्ठी चने धोकर रात को भिगो दें. सुबह जीरा और सोंठ पीसकर चनो पर डालकर खाएं. घंटे भर बाद उस पानी को भी पि लें, जिसमें चने भिगोये गए थे. इससे कब्ज दूर होगी और साथ ही पेट पूरी तरह से साफ़ हो जायेगा. अंतड़ियों की सफाई हो जाएगी.
                  आंतड़ियों में फंसे मल को निकालने व पेटको साफ़ करने में यह उपाय भी बहुत प्रभावकारी होता हैं.
                 कब्ज की रेमेडीज. 10 ग्राम [2 चम्मच] इसबगोल की भूसी 6 घंटे तक पानी में भिगोये, फिर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रात को सोते समय पानी के साथ लेने से दस्त साफ़ आता हैं. (इसे केवल पानी के साथ वैसे ही अर्थात बिना भिगोये भी रात को सोते समय लिया जा सकता हैं)! अथवा इसबगोल की भूसी 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर 200 ग्राम गर्म दूध में भिगो दें. यह फूलकर गाढ़ी हो जाएगी. इसमें चीनी मिलाकर खाए और ऊपर से थोड़ा गर्म दूध पि लें. शाम को सोते समय यह प्रयोग करने से सुबह के समय मल बंधा हुआ व साफ़ आएगा.

    @ इसबगोल पेट के रोगों के लिए-
                   पेट के रोगों के लिए इसबगोल निर्दोष एवं श्रेष्ठ दवा हैं तथा बालक, युवा व वृद्ध सभी उम्र के लोगों को बिना किसी डर के दी जा सकती हैं. इसकी खूबी यह हैं की यह आंतो के द्वार को चिकना बना देती हैं. और आंतों में मल को अच्छी तरह से फुलाकर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं.
                  इसका रोजाना नियम से लम्बे समय तक सेवन करने से शरीर में अन्य विरेचक औषधियों की भांति किसी प्रकार के विकार (side effects) नहीं होते. इसीलिए यहां पर एरंड के तेल और इसबगोल को उपयोग करने की इतनी सलाह दी जा रही हैं. इनके प्रयोग से आपको बिलकुल नहीं डरना चाहिए, यह जरा सा भी नुकसान नहीं करती बल्कि दुगना फायदा ही देती हैं.

    @ गर्म दूध और घी का घरेलु उपाय-
                      गर्म दूध और घी मिलाकर पिने से दस्त नरम ढीला होता हैं. यह प्रयोग पाइल्स में लाभदायह होता हैं. कोई दस्तावर औषधि के प्रयोग करने से पहले यदि 3 दिन तक घी कालीमिर्च के साथ पि लिया जाए, तो आंते मुलायम होकर मल फूल जाता हैं और फिर दस्तवार औषधि सेवन करने से पेट की सब गंदगी बहार निकल जाती हैं.
    यह एक ऐसा आयुर्वेदिक इलाज हैं जिससे पेट में व अंतड़ियों में फंसे सभी तरह के मल व गन्दी को बाहर निकालने में सक्षम होता हैं. इसके कुछ ही दिनों के प्रयोग से आपको पूरा शरीर हल्का मालूम होने लगेगा, भूख खुल जाएगी. व शरीर तंदुरस्त होने लगेगा.

    @ एरंड का तेल का प्रयोग-
                      सोते समय दो चम्मच एरंड का तेल (castor oil) पिने से कब्ज दूर होती हैं तथा दस्त साफ़ आता हैं. इसे 1 ग्लास गर्म पानी या गर्म दूध में मिलाकर पिया जा सकता हैं. यह हानिरहित नुस्खा हैं. गठिया से ग्रस्त रोगियों को तो सप्ताह में 1-2 बार इस प्रयोग को अवश्य करना चाहिए. क्योंकि गठिया के मूल में भी बवासीर की ही भांति कब्ज ही मुख्य कारण होता हैं.
                       एरंड का तेल अवस्थानुसार 1 से 5 चम्मच तक की मात्रा में 1 कप गर्म पानी या दूध में लेना लाभप्रद रहता हैं. वयस्कों ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को 2-3 चम्मच और शिशुओं को 1 छोटा चम्मच तथा कठिन कब्ज वाले रोगियों को आठ चम्मच तक एरंड का तेल लेना पड़ सकता हैं और अन्य लोगों को केवल 30 बूंदों से ही पाखाना आ जाता हैं. और कब्ज से छुटकारा मिल जाता हैं.
    एरंड का तेल बहुत ही अच्छा हानिरहित आयुर्वेदिक इलाज हैं. इसे छोटे बच्चों को भी दिया जा सकता हैं और दूध के विकार से उतपन्न पेट दर्द और उलटी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता हैं. इसके प्रयोग से अमाशय और आंतों को किसी प्रकार की हानि नहीं होती, इसलिए सभी प्रकर के रोगियों को इसको बिना किसी भय के दिया जा सकता हैं. इसका प्रयोग कब्ज, बवासीर, आंव के अतिरिक्त आंखों की बिमारियों और खाज खुजली आदि चर्म रोगों में भी हितकारी हैं.
                    एरंड के तेल का कब्ज के लिए यह नुस्खा भी घरेलु इलाज में बहुत मदद करेगा. एरंड के तेल में सेंकी हुई छोटी हरड़ का चूर्ण और इसबगोल की खूब महीन भूसी सामान मात्रा में लेकर, इसे आपस में अच्छी तरह मिलाकर सुरक्षित रख लें. फिर इसे एक से दो छोटे चम्मच तक की मात्रा में रात्रि में सोते समय सेवन करने से सुबह बंधा हुआ मल आता है, जिससे पेट साफ़ हो जाता हैं.
                  इसके प्रयोग से पेट में दर्द व मरोड़ नहीं होता हैं और न ही अधिक दस्त आते हैं. इस दस्त में आंतों में फंसा बेकार के पदार्थ सही निकल जाते हैं. पेट की पूरी तरह से सफाई हो जाती हैं. या यूं कहे की पेट restored हो जाता हैं.
    यह क़ब्ज़ के आसान उपायों में से एक हैं. काला नमक, अजवाइन, छोटी हरड़ और सोंठ, प्रत्येक को बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीस व छानकर सुरक्षित रख लें. रात को भोजन करने के एक घंटे के बाद एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी से लें.

    @ छाछ का प्रयोग-
                       छाछ (Butter Milk) के सेवन से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चौथे दिन आने वाला (मलेरिया) बुखार, तिल्ली जलोदर, रक्तचाप की कमी या अधिकता, मूत्राशय की पथरी में लाभ होता हैं. आदि यह और भी कई स्वास्थ्य लाभ देती हैं. खासकर कब्ज में तो यह रामबाण इलाज की तरह काम करती हैं हिंदी में. इस उपयोग आपको रोजाना खाना खाने के बाद करना चाहिए.

    @ सोंफ का उपयोग-
                    चार चम्मच सोंफ एक ग्लास पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पिए. इस प्रयोग से कब्ज दूर होती हैं और सोते समय आधा चम्मच पीसी हुई सोंफ की फांकी गर्म पानी से लें. इससे भी कब्ज दूर होती हैं या सोंफ और हरड़ तथा शक्कर (हर एक को आधा-आधा चम्मच लें) मिलाकर व पीसकर गर्म पानी से सेवन करे. यह सभी कब्ज से छुटकारा दिलाने के आयुर्वेदिक इलाज हैं, इनके प्रयोग जरूर करिये.

    @ कब्ज के लिए आसान चूर्ण-
                  अजीर्ण, कब्ज होने से दाल चीनी, सोंठ, जीरा और इलाइची प्रत्येक को सममात्रा में लेकर व पीसकर 1/2 चम्मच की मात्रा में गर्म पानी से सेवन करे. यह परम लाभप्रद प्रयोग हैं. इसके कुछ ही सेवन से आपको बहुत लाभ होगा, जल्द ही कब्ज दूर हो जायेगी. इसके साथ साथ पेट के अन्य रोग भी छूमंतर हो जायेंगे.

    @ कब्ज में शहद का उपयोग-
                   शहद प्राकृतिक हल्का दस्तावर हैं. रोजाना सुबह उठने के बाद व रात को सोने से पहले 50 ग्राम शहद ताजे पानी या दूध में मिलाकर पिने से कब्ज में लाभ होता हैं. शहद का पेट पर शामक प्रभाव पढता हैं. जिससे पेट की सफाई हो जाती हैं. इसके प्रयोग से पाचन शक्ति बढ़ती हैं, भूख खुलकर लगती हैं व मोटापे में भी लाभ होता हैं.

    @ नीम का प्रयोग-
                   नीम के फूलों को धुप में अच्छे से सूखा लें, जब वह अच्छे से सुख जाए तो उन्हें पीसकर सुरक्षित रख लें, यह चूर्ण चुटकी भर रोजाना रात को गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की शिकायत कभी नहीं होती . और जिन्हें कब्ज की शिकायत हैं, तो उनकी शिकायत भी दूर हो जाती हैं.
    साथ ही नीम शरीर पर कई अन्य शारीरक लाभ भी छोड़ता हैं. नीम कॉन्स्टिपेशन ट्रीटमेंट के लिए बहुत फायदेमन्द होती हैं. पेट की सारी अंतड़ियों में खून की सफाई भी करती हैं. (और खून की सफाई करना नीम का प्राकृतिक जातीय गुण हैं, इसलिए यह खून में मौजूद सभी बेकार के पदार्थों को ख़त्म कर खून को साफ़ बनाती हैं)

    @ कब्ज में पाखाना नहीं आने पर क्या करे-
                  अगर कब्ज रोग के वजह से मल आता ही न हो तो साबुन के पतले टुकड़ें को तेल वेसिलीन लगाकर गुदा (मल द्वार) में अंदर पहुंचा देने से मल आ जाता हैं. यानि साबुन के पतले टुकड़े में वैसेलिन लगाकर अपने मल द्वार के छेद में अंदर डाल दें. ऐसा करने से कुछ समय बाद ही आपको लेटरिंग आ जायेगी.

    @ कब्ज के पुराने रोगी के लिए-
                   जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो, उन्हें भोजन के साथ घूंट-घूंट पानी पीते रहना चाहिए, और साथ ही रोजाना सुबह उठने के तुरंत बाद ही 2 ग्लास पानी पीना चाहिए. ऐसा करने से शरीर में पानी की कमी नहीं रहती. जिससे कब्ज में लाभ होता हैं. शरीर में तरलता बढ़ती हैं. इसके साथ ही सुबह पानी पिने के और भी कई ढेरों लाभ होते हैं.

    @ चमत्कारी चुरन-
                  100 ग्राम छोटी काली हरड़ लेकर देसी घी में भून लें. जब हरड़ फूल जाए और धुंआ-सा निकलने लगे, तब उसे घी से अलग कर लें. उसके बाद 100 ग्राम बड़ी सोंफ लेकर उसमें से 50 ग्राम सोंफ को लेकर घी में अलग से भून लें और बाकी 50 ग्राम सोंफ कच्चा ही रखें तथा भुनी हुई सोंफ में मिला लें.
                  इसके बाद पहले भुनी हरड़ को कूटकर दरदरा चूर्ण बना लें और फिर सोंफ को. उसके बाद इस दरदरे चूर्ण में 200 ग्राम देसी घी (पाचन शक्ति के अनुसार) तथा 400 ग्राम मिश्री या बुरा मिलाकर किसी साफ़ स्वच्छ कांच के बर्तन में सुरक्षित रख लें.
            इसको 2 चम्मच यानी दस ग्राम की मात्रा में रोजाना दिन में दो बार सुबह और शाम को दूध के साथ लें. तथा सेवन के दो घंटे पूर्व बाद में कुछ भी न खाये. इसके नियमित प्रयोग से कुछ ही दिनों में कब्ज दूर हो जाती हैं. ज्यातादर सिर्फ 15 दिनों के सेवन से ही उदार शुद्धि हो जाती हैं. उदर कृमि भी नष्ट हो जाते हैं.
                यह चूर्ण गैस व कब्ज नाशक होने के साथ-साथ बलवर्धक, वीर्यवर्धक, रसायन, हृदयबल, प्रदायक और आंखो की ज्योति बढ़ाने वाला होता हैं. इसका प्रयोग सभी मौसम में बिना किसी डर के किया जा सकता हैं. यह कब्ज में परम गुणकारी व रामबाण हैं

    @ कब्ज दूर करने के लिए चूर्ण-
                   सनाय की पत्ती 20 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम , सोंफ 20 ग्राम, गुलाब के फूल की पत्तियां 10 ग्राम, जीता 10 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम और मिश्री 30 ग्राम (कूल 100 ग्राम) ऊपर बताये गए सभी द्रव्यों को अलग-अलग बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर व मिलाकर सुरक्षित रख लें.
               यह चूर्ण तीन ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करे. एक सप्ताह तक इसका नियमित सेवन किया जा सकता हैं, लेकिन एक दिन के अंतराल से इसका सेवन कब्ज रोग में कुछ दिन करना लाभप्रद हैं. अर्थात एक सप्ताह तक पूरी तरह इसका प्रयोग करे, कब्ज में पूरी तरह से आराम मिल जाएगा.

    @ तुलसी का उपयोग-
                  तुलसी प्रकृति की एक ऐसी देन हैं जो की बड़ी आसानी से हर एक रोग को ख़त्म कर सकती हैं. इसमें ऐसे कई अनूठे गुण होते हैं जो की हर तरह की
    कब्ज में रामबाण इलाज का काम करते हैं.
    कब्ज से निजात पाने के लिए दूध और शहद
    रोजाना सुबह के समय 1 प्याला ठन्डे या कुछ गर्म पानी में और रात के समय दूध में 1 चम्मच शहद मिलाकर पिने से कब्ज दूर होती हैं या एक गिलास थोड़े से गर्म पानी में एक चम्मच नीबू का रस और एक चम्मच अदरक का रस आठ दो चम्मच शहद मिलाकर पिने से अजीर्ण और कब्ज दूर होती हैं.
    यह अब तक का सबसे सरल उपाय में से एक हैं जिनसे कब्ज को आसानी से खत्म किया जा सकता हैं, इसमें उपयोग की जाने वाली चीजें भी घर पर बड़ी आसानी से उपलब्ध होती हैं. इसलिए यह सबसे सरल रामबाण घरेलु इलाज है!



    @ कब्ज से तुरंत जल्दी छुटकारा पाने के लिए स्थायी उपचार-
                कब्ज का तुरंत इलाज करने के लिए यह उपाय आजमाए. हमारी नजर में एनिमा से बढ़कर कोई उपचार नहीं हैं. ठन्डे पानी के एनिमा से बड़ी आंत को बल मिलता हैं और उसकी आदत भी नहीं पड़ती. इसको करने के लिए यहां बताये जा रहे सामान की जरुरत लगेगी.
    पानी भरने के लिए इनेमल का डिब्बा, लगभग 5 फुट लम्बी प्लास्टिक की नली, पानी को नियंत्रित करने वाली नल की टोंटी और 24 नंबर का प्लास्टिक का केथेटर.

    :- एनिमा का प्रयोग इस तरह करे-
                 एनिमा के डिब्बे में 1/2 लीटर गुनगुना या थोड़ा हल्का गर्म पानी भरकर उसे पृथ्वी से लगभग तीन फुट की ऊंचाई पर लटकाएं या फिर किसी ऊंचाई वाले स्टूल या फिर अलमारी पर रखें. कैथेटर के सिरे में तेल या साबुन लगाए, ताकि वह चिकना हो जाए. इसके बाद अपने मलद्वार को भी इसी तरह तेल या साबुन लगाकर चिकना करे.
                      अब नली में थोड़ा पानी डालकर उसमे से थोड़ा पानी बह जाने दें, ताकि नली के अंदर की गंदगी और हवा बाहर निकल जाए. अब अपने मलद्वार में पानी चढाने से पहले टोंटी खोलकर उसमे से थोड़ा पानी बह जाने दें. इसके बाद केथेटर के सिरे को बड़ी सावधानीपूर्वक और हलके से रोगी को लेटाकर उसके मलद्वार “गुदा” में लग भाग तीन इंच तक अंदर तक इस नली को जाने दें. इसके बाद टोंटी को चालू कर दें व पानी को गुदा द्वार में जाने दें.
                     अब डिब्बे का पानी बड़ी आंत में भरने लगेगा. इस तरह पानी चढ़ाते समय बिच में हजामत सी महसूस होगी, तो ऐसे में थोड़ी देर के लिए पानी चढ़ाना बंद कर दें. इसके बाद थोड़ी देर रुक कर फिर से पानी चढ़ाना शुरू कर दें.
    पूरा पानी आंत में चढ़ जाने पर रोगी से कहे की वह 3-4 मिनट तक इस पानी को पेट के अंदर रोके रखे. इसके बाद रोगी को शौच के लिए भेज दें. मल के साथ ही चढ़ाया गया सारा पानी निकल जायेगा. याद रखे शौच में जाते समय जरा भी जोर न लगाए, पानी को अपने स्वाभाव के अनुसार बाहर निकलने दें. वह अपने आप धीरे-धीरे बाहर निकल जाएगा.
                  यह पंचकर्मा की क्रिया हैं इससे आंत बिलकुल साफ़ हो जाएगी. थोड़ी देर तक रोगी को शौच में ही बैठे रहने दें. एनिमा से कई बार तो इतना मल निकलता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. इससे पाचन समबन्धी सभी विकार ख़त्म हो जाते हैं. इससे कई अनोखे स्वास्थ्य लाभ होते हैं.
    इसे योग में पंचकर्मा में गिना जाता हैं. सप्ताह में इसका एक बार जरूर प्रयोग करना चाहिए. अगर कब्ज ज्यादा ही हैं तो सप्ताह में दो तीन बार यह क्रिया कर लेना चाहिए. इससे बुद्धि तेज होती हैं, मन शुद्ध होता हैं आदि कई अनोखे लाभ होते हैं. इसलिए यह क्रिया हमारी नजर में कब्ज मिटाने के लिए सबसे सर्वोत्तम हैं.
    यह क्रिया थोड़ी अजीब तो लग रही होगी लेकिन है बहुत ही फायदेमंद. इसके लिए आप Youtube पर video देख सकते हैं.

    @ कब्ज के इलाज में क्या खाना चाहिए-
                            गेहूं दो भाग और चना एक भाग मिलाकर बनाई गई मिस्सी रोटी, मोटे आटे की रोटी चोकरयुक्त आटे की रोटी, चोकर की खीर, भुने हुए चने, दलीय, पालक का सूप, बथुआ, मेथी, टमाटर, सम्पूर्ण नेदयुक्त गझर, सलाद कच्चा प्याज, पुदीना, पपीता, अमरुद, चीकू संतरा, आंवला, ताजे फलों का रस, नीबू पानी, देसी घी, दूध, मक्खन, दूध में भिगोई हुई मुनक्का आदि कब्ज रोग में खा सकते हैं.

    @ कब्ज में क्या नहीं खाना चाहिए-
                         मेढे से बने खाध पदार्थ तेल भुने भोज्य पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले युक्त चटपटे पदार्थ, मिठाइयां, कोका कोला जैसे ठन्डे पेय, केला शराब चाय मांस मछली अंडे देर रात में भोजन करना कोका-कोला जैसे पेय पदार्थ, भोजन करने के तुरंत बाद ही फ्रिज का पानी पीना आदि इन सब से बचे. व कब्ज में यह सब न खाये.
                       रोजाना सुबह के समय नीबू के रस वाला 1 ग्लास पानी पिने से व रात को इस पानी को पीकर सोने से सुबह मल पूरी तरह विसर्जित हो जाता हैं व पेट साफ़ सुथरा हो जाता हैं. इसका प्रयोग जरूर करें. ययह उपाय 110% आपको लाभ देगा.
      
    @ कब्ज में इन बातों पर विशेष ध्यान दें-
                            इन बातों को ध्यान में रखने से आपको कभी कब्ज रोग नहीं होगा

    :- भोजन करने के तुरंत बाद ही पानी न पीकर
    :- भोजन के आधे एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए.
    :- भोजन करते समय हर एक कौर को बार-बार चबा-चबाकर खाये
    :- रोजाना सुबह सोकर उठते ही पेट भरकर तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी या मटके का पानी पिए
    रात का भोजन सोने से तीन घंटे पहले ही करलें
    पेट पर गिला कपडा बिछाए और उस पर गीली मिटटी का लेप करें. फिर इस पर कपडा बाँध दें तथा रात भर इसी प्रकार गीली मिटटी
    रखी रहने दें. इस प्राकृतिक चिकित्सा प्रयोग से कब्ज दूर होगी और मल बंधा हुआ व साफ़ आएगा.
    :- दिन भर में घूंट-घूंट करके कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिए


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    @ मदन प्रकाश चुरन
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    Not-
               किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।



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