वात नाशक योग
वात नाशक योग -
आयुर्वेद के खजाने मे एसी दुर्लभ और अचुक जडीबूटिया पाइ जाती है जिनसे कई असाध्य रोगो से मुक्ति पाई जा सकती है !
यहा हम आप को एसा ही आयुर्वेदिक योग बताने जा रहे है जो एक नही बल्कि कई रोगों का निवारण करने मे सहायक है !
यहा हम आप को एसा ही आयुर्वेदिक योग बताने जा रहे है जो एक नही बल्कि कई रोगों का निवारण करने मे सहायक है !
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इससे इन 80 रोगों से मुक्ति मिलेगी :
पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कंपन्न आदिके साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है।
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योग बनाने की विधि :
@ 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें।
@ अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें।
@ फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री,
@ 400 ग्राम गाय का घी तथा सोंठ,
@ काली मिर्च,
@ पीपर,
@ दालचीनी,
@ इलायची,
@ तमालपात्र,
@ नागकेशर,
@ पीपरामूल,
@ वायविडंग,
@ अजवायन,
@ लौंग,
@ च्यवक,
@ चित्रक,
@ हल्दी,
@ दारूहल्दी,
@ पुष्करमूल,
@ रास्ना,
@ देवदार,
@ पुनर्नवा,
@ गोखरू,
@ अश्वगंधा,
@ शतावरी,
@ विधारा,
@ नीम,
@ सोआ व
@ कौंचा के बीज का चूर्ण
: प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
@ 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें।
@ अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें।
@ फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री,
@ 400 ग्राम गाय का घी तथा सोंठ,
@ काली मिर्च,
@ पीपर,
@ दालचीनी,
@ इलायची,
@ तमालपात्र,
@ नागकेशर,
@ पीपरामूल,
@ वायविडंग,
@ अजवायन,
@ लौंग,
@ च्यवक,
@ चित्रक,
@ हल्दी,
@ दारूहल्दी,
@ पुष्करमूल,
@ रास्ना,
@ देवदार,
@ पुनर्नवा,
@ गोखरू,
@ अश्वगंधा,
@ शतावरी,
@ विधारा,
@ नीम,
@ सोआ व
@ कौंचा के बीज का चूर्ण
: प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा मावा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें।
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प्रयोग करने का तरीका :
प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
किसी वेद के निर्देशन मे ही लें !
प्रतिदिन इस दवा को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
किसी वेद के निर्देशन मे ही लें !
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और अधिक जानकारी के लिये हमारी पिछली पोस्ट पढे!
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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