लकवा (पेरालाइसिस) क्या है ? इसके कारन और उपचार :-
लकवा (पेरालाइसिस):-
लकवा को अंग्रेजी में पैरालिसिस भी कहते हैं, जो अधिकतर 50 वर्ष से अधिक उम्र के इंसान को होता है। ऐसा नहीं है कि यह केवल 50 वर्ष की उम्र में ही हो बल्कि अगर कुछ सावधानी न बरती जाये तो लकवा किसी भी उम्र के मनुष्य को हो सकती है। जीवन मे चाहे धन, एश्वर्य, मान, पद, प्रतिष्ठा आदि सभी कुछ हो, परंतु शरीर मे बीमारी है तो सब कुछ बेकार है ओर जीवन भी नीरस है। ऐसी ही एक बीमारी है लकवा (पेरालाइसिस), जिससे पीड़ित व्यक्ति जीवनभर सारे परिवार पर बोझ बन जाता है।
पक्षाघात या लकवा में एक या उससे ज्यादा मांसपेशी समूह की मांसपेशियों सही तरीके से काम नही कर पाती है। पक्षाघात रोग के कारण प्रभावित अंग की संवेदन शक्ति खत्म जाती है या उस अंग या भाग को चलना या फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है।
लकवा बहुत ही खतरनाक रोग है। जिस अंग पर लकवा मारता है वह अंग बेकार हो जाता है। रोगी असहाय व कमजोर हो जाता है। उसे चलने-फिरने के लिए दूसरे का सहारा लेना पड़ता है, इसमें शरीर के अंग निष्क्रिय तथा चेतना शून्य हो जाते हैं। शरीर का हिलना डुलना मुश्किल हो जाता है।
लकवा बहुत ही खतरनाक रोग है। जिस अंग पर लकवा मारता है वह अंग बेकार हो जाता है। रोगी असहाय व कमजोर हो जाता है। उसे चलने-फिरने के लिए दूसरे का सहारा लेना पड़ता है, इसमें शरीर के अंग निष्क्रिय तथा चेतना शून्य हो जाते हैं। शरीर का हिलना डुलना मुश्किल हो जाता है।
लकवा का कारण -
जब अचानक मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त या खून की बहाव या आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका या नस फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है और खून का थक्का बन जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है.
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शरीर की सभी पेशियों का नियंत्रण (Control ) केंद्रीय तंत्रिकाकेंद्र, मस्तिष्क और मेरुरज्जु की सहयोगी तंत्रिकाओं से होता है, जो पेशियों तक जाकर उनमें प्रविष्ट होती हैं. अत: स्पष्ट है कि मस्तिष्क से पेशी तक , और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में या पेशी में पक्षाघात रोग हो जाने से पक्षाघात हो जाता है. सामान्य रूप में चोट या अचानक तेज दाब और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में दाब आदि किसी भी कारण से उत्पन्न अवरोध के फलस्वरूप आंशिक या पूर्ण पक्षाघात होता है.
शरीर के जिस अंग में खून उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता है वह अंग सुन हो जाता है। इसी को हम लकवा कहते हैं। इसके अलावा यह रोग रक्तचाप के बढ़ने, गुप्त स्थान पर अचानक चोट लगने, मानसिक कमजारी, नाड़ियों की कमजोरी, ज्यादा ठंडी चीजें खाने व ज्यादा वायु बनाने वाले खाद्य पदार्थों के खाने आदि से हो जाता है।
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शरीर के जिस अंग में खून उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता है वह अंग सुन हो जाता है। इसी को हम लकवा कहते हैं। इसके अलावा यह रोग रक्तचाप के बढ़ने, गुप्त स्थान पर अचानक चोट लगने, मानसिक कमजारी, नाड़ियों की कमजोरी, ज्यादा ठंडी चीजें खाने व ज्यादा वायु बनाने वाले खाद्य पदार्थों के खाने आदि से हो जाता है।
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लकवा (पेरालाइसिस) होने का 3 प्रमुख कारण :-
1-किसी अंग का दबना–
शरीर के किसी अंग का लगातार अधिक समय तक दबे रहने से भी लकवा हो सकता है। दरअसल किसी अंग के लगातार दबने से उस हिस्से पर रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से हमारा दिमाग उस हिस्से पर रक्तसंचालन को रोक देता है। रक्तसंचालन रुकने के बाद उस हिस्से पर तंत्रिका तंत्र भी शून्य हो जाता है और हमें लकवाग्रस्त जगह शून्य होने की वजह से एकदम भारीपन लगता है।
शरीर के किसी अंग का लगातार अधिक समय तक दबे रहने से भी लकवा हो सकता है। दरअसल किसी अंग के लगातार दबने से उस हिस्से पर रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से हमारा दिमाग उस हिस्से पर रक्तसंचालन को रोक देता है। रक्तसंचालन रुकने के बाद उस हिस्से पर तंत्रिका तंत्र भी शून्य हो जाता है और हमें लकवाग्रस्त जगह शून्य होने की वजह से एकदम भारीपन लगता है।
2-अम्लीय पदार्थ का सेवन–
अम्लीय पदार्थ के सेवन से रक्त पर अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी अशुद्धियाँ धमनियों रुक जाती है और उनमें रक्त प्रवाह बाधित होता है और लकवा हो जाता है।
अम्लीय पदार्थ के सेवन से रक्त पर अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी अशुद्धियाँ धमनियों रुक जाती है और उनमें रक्त प्रवाह बाधित होता है और लकवा हो जाता है।
3-ज्यादा तनाव में रहने से–
कभी-कभी ज्यादा तनाव में रहने से मस्तिष्क में खून जम जाता है, जिसके कारण पैरालिसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ज्यादा चिंता या तनाव में नहीं रहना चाहिए।
कभी-कभी ज्यादा तनाव में रहने से मस्तिष्क में खून जम जाता है, जिसके कारण पैरालिसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ज्यादा चिंता या तनाव में नहीं रहना चाहिए।
लकवा निम्न प्रकार से हो सकता है:-
@ पूरे शरीर पर
@ आधे शरीर पर
@ मुंह पर होता है।
@ पूरे शरीर पर
@ आधे शरीर पर
@ मुंह पर होता है।
लकवा के लक्षण-
@रोगी अपना अंग हिलाने-डुलाने में असमर्थ हो जता है।
@ इस रोग में पूरा शरीर, आधा शरीर व छोटी नसें सूख जाती हैं।
@ जिस भी अंग पर लकवा होता है, वह अंग बेकार हो जाता है।
@ खून का संचार बंद हो जाता है।
@ अगर लकवा मुँह पर होता है तो रोगी बोल नहीं पाता है। इसके अलावा आंख, कान व नाक भी रोग ग्रस्त तथा टेढे-मेढे हो जाते हैं।
@ गरदन टेढ़ी हो जाती है !
@ होंठ नीचे को लटक जाते हैं।
@ चमड़ी को खरोचनें पर भी दर्द नहीं होता है। दांतों में भयानक दर्द शुरू हो जाता है।
@ एक तरह से रोगी का पूरा शरीर कुरूप व बेकार हो जाता है!
लकवा (पेरालाइसिस) होने पर तुरंत करें ये उपाय :-
1-लकवा होने पर मरीज को तुरंत एक चम्मच शहद में 2 लहसुन मिलकर खिलाये. इससे लकवा से छुटकारा मिल सकता है।
2-किसी को लकवा होने पर कबूतर के मिट को खिलाये ऐसा करने से लकवा तुरंत मिट जायेगा और मरीज स्वस्थ हो जायेगा। यह उपचार लकवे में सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाते हैं।
3-कलौंजी के तेल से लकवे वाली जगह पर मालिश करें!
उपचार-
@ तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक व थोड़ा-सा दही आदि का लेप बनाकर अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाने से लकवा रोग दूर हो जाता है।
@ दूध में एक चम्मच सोंठ व थोड़ी-सी दालचीनी डालकर उबालकर छानकर थोड़ा-सा शहद डालकर सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।
@ छुआरा या सफेद प्याज का रस दो-तीन चम्मच रोज पीने से लकवा के रोगी को काफी फायदा होता है।
@ तिली के तेल में थोड़ी-सी कालीमिर्च पीसकर या सरसों के तेल में धतूरे का बीज पकाकर लकवा वाले स्थान पर मालिश करने से लकवा ग्रस्त अंग ठीक हो जाता है!
लकवे के लिए आयुर्वेदिक दवाये -
1. सुबह 7 बजे वात गजांकुश रस एक गोली दूध से।
2. सुबह 8 बजे रस राज रस एक गोली, एकांग्वीर रस एक गोली दूध से।
3. दोपहर 2 बजे रसराज रस एक गोली, एकांग्वीर रस एक गोली दूध से।
4. रात्रि 8 बजे योगेंद्र रस एक गोली, अर्धांगवातरी रस एक गोली दूध से।
5. सुबह शाम महानारायण तेल की मालिश करके गर्म पानी से सेक करे।
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@ सुखदर्शन वटी
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@ वीर्य स्तम्भन वटी
@ कौचापाक
@ चवनप्राशवलेह
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ये ओशधिया कामोत्तेजना बढाने मे बहुत ही लाभदायक है !
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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