भोजन करने के नियम व भोजन का महत्व
भोजन करने के नियम व भोजन का महत्व -
भोजन तो सभी के लिये आवश्यक है चाहे मनुष्य हो या पशु ! भोजन के बिना जीवन संभव नही है ! जो हम खाते है उसी से हमे ताकत मिलती है ! परंतु मनुष्य और पशु मे अंतर होता है ! मनुष्य पशुओ की तरह घांस फुस नही खा सकते उसी प्रकार भोजन जब तक भोजन नियमानुसार नही किया जाये उसका शरीर को लाभ नही मिलता ! इसलिये आयुर्वेद मे मनुष्य के लिये भोजन करने के कुछ नियन दीये गये है !
यदि नियमानुसार भोजन किया जाये तो शरीर को आवश्यक पोशक तत्व मिलते है जो शरीर के लिये आवश्यक है ! और साथ ही शरीर की रोग प्रतीरोधक क्षमता भी बड़ती है ! और मनुष्य कई बिमारियो से बचता है !
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भोजन का महत्व -
भोजन हमारे शरीर के लिये अत्यन्त आवश्यक है जो हमारे शरीर को उर्जा प्रदान करता है ! जो खाना खाते हैं , वो पेट मे अच्छे से पच कर रस बनता है, रस से रक्त (blood ),रक्त से मांस ,मांस से मेद(fat ),मेद से अस्थि (bones ),अस्थि से मज्जा (bone marrow ),मज्जा से शुक्र (semen ) और शुक्र से ओज (energy ) बनता है ! इसलिए सही खाना और सही समय पर खाना बहुत जरूरी है ! इसीलिए आयुर्वेद मे भोजन से संबंधित कुछ नियम बताये गए हैं ,जिनका सहज रूप से पालन कर हम हमारी जठराग्नि, हमारे शरीर को स्वस्थ और सबल रख सकते हैं !
भोजन हमारे शरीर के लिये अत्यन्त आवश्यक है जो हमारे शरीर को उर्जा प्रदान करता है ! जो खाना खाते हैं , वो पेट मे अच्छे से पच कर रस बनता है, रस से रक्त (blood ),रक्त से मांस ,मांस से मेद(fat ),मेद से अस्थि (bones ),अस्थि से मज्जा (bone marrow ),मज्जा से शुक्र (semen ) और शुक्र से ओज (energy ) बनता है ! इसलिए सही खाना और सही समय पर खाना बहुत जरूरी है ! इसीलिए आयुर्वेद मे भोजन से संबंधित कुछ नियम बताये गए हैं ,जिनका सहज रूप से पालन कर हम हमारी जठराग्नि, हमारे शरीर को स्वस्थ और सबल रख सकते हैं !
भोजन(meal ) के नियम ---
@ जिस तरह भट्टी की आग इंधन के बिना बुझ जाती है उसी तरह भूख लगने पर खाना नहीं खाने से जठराग्नि मंद (slow )हो जाती है !
@जो व्यक्ति खाने के समय के पहले ही खा लेते हैं उन्हें headache ,indigestion ,अजीर्ण जैसे रोग हो जाते हैं!
@और जो व्यक्ति खाने के समय के बहुत बाद खाना खाते हैं उनकी जठराग्नि को पेट की वायु नष्ठ कर देती है , जिससे उस खाने के पचने मे कठनाई होती है , और बाद मे खाना खाने की भी इच्छा नहीं होती है , शरीर मे आलस्य सा बना रहता है !
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@ अगर आप कुकर मे चावल पकाने को रखें , लेकिन अगर आप कूकर को पूरा ही चावल से भर दें ! या चावल , पानी और हवा का अनुपात सही नहीं रखें तो आप भी जानते हैं चावल नहीं पकेंगे या वो जल जायेंगे , या कच्चे रह जाएँगे ! उसी तरह आपका पेट भी एक pressure -cooker की ही तरह है ! खाना अच्छे से पचे इसके लिए आप पेट के काल्पनिक 4 भाग कीजिये , उनमे से 2 भाग अन्न से भरिये ,1 भाग पानी के लिए और 1भाग हवा के लिए रहने दीजिये !
@जिस तरह पहिये मे हवा कम भरेंगे तो वो puncher हो जाएगा और जरुरत से ज्यादा हवा भरने से वो फूट भी सकता है, उसी तरह कम खाने से शारीर कमजोर हो जाता है ताकत घट जाती है , और जरूरत से ज्यादा खाने से आलस्य ,भारीपन, पेट दर्द, vomit ,diarroheaआदी हो जाते हैं!
@ प्यास लगने पर खाना खाना और भूख मे पानी नहीं पीना चहिये!
खाने के तुरंत पहले पानी पीने से जठराग्नि मंद और शरीर निर्बल हो जाता है ! खाने के तुरंत बाद पानी पीने से कफ बढता है ,लेकिन खाने के बीच बीच मे थोडा थोडा पानी पीने से अग्नि बढती है !
@ खाने के तुरंत पहले पानी पीने से शरीर पतला ,खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर मोटा और बीच बीच मे थोडा पानी पीने से शरीर समान(ना मोटा ना दुबला ) रहता है!
खाना खाते ही तुरंत पैदल चलना, महनत करना ,या तुरंत नींद भर कर सोना सही नहीं है !
@ जो व्यक्ति किसी तरह की शारीरिक महनत के तुरंत बाद ,या कही से थका हुआ आकर बिना पसीना सुखाये खाने लगता है या बहुत सारा पानी पी लेता है उसे fever या वमन (vomit ) हो जाता है !
इसीलिए खाना सही समय पर ,सही तरीके से और सही मात्रा मे खाना चहिये !
@जो व्यक्ति खाने के समय के पहले ही खा लेते हैं उन्हें headache ,indigestion ,अजीर्ण जैसे रोग हो जाते हैं!
@और जो व्यक्ति खाने के समय के बहुत बाद खाना खाते हैं उनकी जठराग्नि को पेट की वायु नष्ठ कर देती है , जिससे उस खाने के पचने मे कठनाई होती है , और बाद मे खाना खाने की भी इच्छा नहीं होती है , शरीर मे आलस्य सा बना रहता है !
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@ अगर आप कुकर मे चावल पकाने को रखें , लेकिन अगर आप कूकर को पूरा ही चावल से भर दें ! या चावल , पानी और हवा का अनुपात सही नहीं रखें तो आप भी जानते हैं चावल नहीं पकेंगे या वो जल जायेंगे , या कच्चे रह जाएँगे ! उसी तरह आपका पेट भी एक pressure -cooker की ही तरह है ! खाना अच्छे से पचे इसके लिए आप पेट के काल्पनिक 4 भाग कीजिये , उनमे से 2 भाग अन्न से भरिये ,1 भाग पानी के लिए और 1भाग हवा के लिए रहने दीजिये !
@जिस तरह पहिये मे हवा कम भरेंगे तो वो puncher हो जाएगा और जरुरत से ज्यादा हवा भरने से वो फूट भी सकता है, उसी तरह कम खाने से शारीर कमजोर हो जाता है ताकत घट जाती है , और जरूरत से ज्यादा खाने से आलस्य ,भारीपन, पेट दर्द, vomit ,diarroheaआदी हो जाते हैं!
@ प्यास लगने पर खाना खाना और भूख मे पानी नहीं पीना चहिये!
खाने के तुरंत पहले पानी पीने से जठराग्नि मंद और शरीर निर्बल हो जाता है ! खाने के तुरंत बाद पानी पीने से कफ बढता है ,लेकिन खाने के बीच बीच मे थोडा थोडा पानी पीने से अग्नि बढती है !
@ खाने के तुरंत पहले पानी पीने से शरीर पतला ,खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर मोटा और बीच बीच मे थोडा पानी पीने से शरीर समान(ना मोटा ना दुबला ) रहता है!
खाना खाते ही तुरंत पैदल चलना, महनत करना ,या तुरंत नींद भर कर सोना सही नहीं है !
@ जो व्यक्ति किसी तरह की शारीरिक महनत के तुरंत बाद ,या कही से थका हुआ आकर बिना पसीना सुखाये खाने लगता है या बहुत सारा पानी पी लेता है उसे fever या वमन (vomit ) हो जाता है !
इसीलिए खाना सही समय पर ,सही तरीके से और सही मात्रा मे खाना चहिये !
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किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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