खुनी बवासिर से छुटकारा केसे पायें ?(khuni bavasir se chhutkara kaise payen?)-
खुनी बवासिर से छुटकारा केसे पायें ?
खुनी बवासिर क्या है ?-
जब गुहा मे गांठ हो जाती है और दबाव के कारण वो फूट जाये और उसमे से खून आने लगे उसे खुनी बवासिर कहते है !
अक्सर जब किसी को खुनी बवासिर हो जाता है वह बहुत ही कठिन परिस्थिति से गुजरता है ! और खुन जाने से शरीर मे खून की कमी हो जाती है ! कमजोरी आ जाती है बहुत !
खुनी बवासिर के आयुर्वेदिक नुस्खे -
1) यदि मल मार्ग से खून आता हो तो इसमे 10 ग्राम“कहरवा
पिष्टी” जरूर मिलाए। बड़ी हरड़ (गुठली निकाल के )=60 ग्राम
काली मिर्च -20 ग्राम, पीपल (गरम मसाले मे मिलाने
वाला )-40ग्राम चव्य= 20ग्राम, तालिश पत्र =20 ग्राम,
नागकेशर=10ग्राम, पिपलामूल= 40ग्राम, चित्रक = 20ग्राम,
छोटी इलायची =5ग्राम, दालचीनी = 5 ग्राम, अजवायन =5
ग्राम, जीरा = 5 ग्राम, गुड 400 !
गुड को छोड़ कर बाकी
सभी को मिलाकर बारीक कूट ले। अंत मे गुड मिला कर मटर के
दाने के आकार की गोली बनाकर धूप मे सूखा ले। यदि गोली
बनाने मे परेशानी हो तो 1-2 चम्मच पानी मिला ले। धूप मे जरूर
सुखाए। अन्यथा फफूंद लग कर खराब हो जाती है। सभी तरह की
बवासीर के लिए बेहद अच्छी है। धीरे धीरे फायदा करती है परंतु
2-3 महीने मे पूरी तरह ठीक हो जाती है। मात्रा = 2 से 5 ग्राम
ठंडे पानी से सुबह खाली पेट व शाम को भोजन से 2 घंटे पहले !
परहेज = चाय, लाल मिर्च, उरद की दाल, राजमा, समोसा,
पकौड़ा, इमली अमचूर जिमिकन्द की सब्जी बनाकर खाए।
मुली की सब्जी बनाकर खाए बवासीर मे बहुत अच्छी है। भुना
हुआ जीरा, काली मिर्च और सैंधा नमक मिला कर प्रतिदिन
दहि की लस्सी /छाछ जरूर पिए। आयुर्वेद मे लिखा है “जैसे आग
मे भुने हुए अन्न के दाने दोबारा नहीं पैदा होते वैसे छाछ के
प्रयोग से नष्ट बवासीर के मस्से दोबारा नही होते !
2) औषिधि बनाने की विधि :
अरीठे या रीठा (Soap nut) के फल में से बीज निकाल कर शेष
भाग को लोहे की कढाई में डालकर आंच पर तब तक चढ़ाए रखे
जब तक वह कोयला न बन जाए जब वह जल कर कोयले की तरह हो
जाए तब आंच पर से उतार कर सामान मात्रा में पपडिया कत्था
मिलाकर कपडछन (सूती कपडे से छान कर) चूर्ण कर ले बस अब ये
औषिधि तैयार है।
औषिधि सेवन करने का तरीका :
इस तैयार औषिधि में से एक रत्ती (125मिलीग्राम ) लेकर मक्खन
या मलाई के साथ सुबह-शाम लेते रहे, इस प्रकार सात दिन तक
दवाई लेनी होती है।
इस औषिधि के मात्र सात दिन तक लेते रहने से ही कब्ज, बवासीर
की खुजली, बवासीर से खून बहना आदि दूर होकर मरीज को
राहत महसूस करने लगता है।
यदि मरीज इस रोग के लिए सदा के लिए छुटकारा पाना चाहे
तो उन्हें हर छ: महीने के बाद फिर से 7 दिन का यह कोर्स
बिलकुल इसी प्रकार दोहरा लेना चाहिए।
औषिधि सेवन के दौरान परहेज़ :
'' ध्यान रखे की औषिधि लेते समय सात दिन नमक का सेवन
बिलकुल नहीं करना है ।
देशी इलाज में पथ्यापथ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है कई
रोगों में तो दवाई से ज्यादा तो पथ्य आहार जादा कारगर
होता है।
औषिधि सेवन के दौरान क्या-क्या खाएं :
मुंग या चने की दाल, कुल्थी की दाल, पुराने चावलों का भात,
सांठी चावल, बथुआ, परवल, तोरई, करेला, कच्चा पपीता, गुड,
दूध, घी, मक्खन, काला नमक, सरसों का तेल, पका बेल, सोंठ
आदि पथ्य है। रोगी को दवा सेवन काल में इसका ही सेवन करना
चाहिए।
औषिधि सेवन के दौरान क्या-क्या न खाएं :
उड़द, धी, सेम, भारी तथा भुने पदार्थ, घिया, धूप या ताप,
अपानुवायु को रोकना, साइकिल की सवारी, सहवास, कड़े
आसन पर बैठना आदि ये सभी बवासीर के लिए हानिकारक है।
तो ये कुछ नुस्खे है जिनका उपयोग कर के आप खुनी बवासिर से छुटकारा पा सकते है
और अधिक जानकारी के लिये हमारी पिछली पोस्ट पढे !
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
महिलाओ के गुप्त रोगों की जानकारी और आयुर्वेदिक नुस्खो की जानकारी के लिये इस लिंक पर क्लिक करें -
Aayurvaidice.blogspot.com
onnihealhcare.blogspot.com
Question-
Hello mera nam ram singh h or mujhe khuni bavasir h .bahut pareshan hu .weakness bhi bahut ho gai h kya karu koi upaye bataiye please.
Ram singh
Ans-
Ram sengh ji aap diye gye number pr call ya whatsapp kijiye or apne bare me detail me bataiye !
Onni health care
Question-
Hello mera nam naresh h or me khuni bavasir se bahut pareshan hu koi upaye btaiye please.
Naresh
Ans-
Naresh ji aap yha jo instructions diye gaye h unhe follow kijiye or diye gaye number pr call ya whatsapp kr ke apne bare me detail me bataiye.
Onni health care
Question-
Hii i am rajat h me khuni bavasir se bahut pareshan hu please help karen.
Rajat Pandey
Question-
Hiii mera nam rupesh h or mujhe khuni bavasir h kya kru bataiye please .
Rupesh varma
Question-
Hello mera nam ankit h mujhe piles h kya kru koi upaye bataiye please.
Ankit rastogi
Question-
Hello mera nam pranit h mujhe piles h kya kru help kare please
Pranit mishra
खुनी बवासिर क्या है ?-
जब गुहा मे गांठ हो जाती है और दबाव के कारण वो फूट जाये और उसमे से खून आने लगे उसे खुनी बवासिर कहते है !
अक्सर जब किसी को खुनी बवासिर हो जाता है वह बहुत ही कठिन परिस्थिति से गुजरता है ! और खुन जाने से शरीर मे खून की कमी हो जाती है ! कमजोरी आ जाती है बहुत !
खुनी बवासिर के आयुर्वेदिक नुस्खे -
1) यदि मल मार्ग से खून आता हो तो इसमे 10 ग्राम“कहरवा
पिष्टी” जरूर मिलाए। बड़ी हरड़ (गुठली निकाल के )=60 ग्राम
काली मिर्च -20 ग्राम, पीपल (गरम मसाले मे मिलाने
वाला )-40ग्राम चव्य= 20ग्राम, तालिश पत्र =20 ग्राम,
नागकेशर=10ग्राम, पिपलामूल= 40ग्राम, चित्रक = 20ग्राम,
छोटी इलायची =5ग्राम, दालचीनी = 5 ग्राम, अजवायन =5
ग्राम, जीरा = 5 ग्राम, गुड 400 !
गुड को छोड़ कर बाकी
सभी को मिलाकर बारीक कूट ले। अंत मे गुड मिला कर मटर के
दाने के आकार की गोली बनाकर धूप मे सूखा ले। यदि गोली
बनाने मे परेशानी हो तो 1-2 चम्मच पानी मिला ले। धूप मे जरूर
सुखाए। अन्यथा फफूंद लग कर खराब हो जाती है। सभी तरह की
बवासीर के लिए बेहद अच्छी है। धीरे धीरे फायदा करती है परंतु
2-3 महीने मे पूरी तरह ठीक हो जाती है। मात्रा = 2 से 5 ग्राम
ठंडे पानी से सुबह खाली पेट व शाम को भोजन से 2 घंटे पहले !
परहेज = चाय, लाल मिर्च, उरद की दाल, राजमा, समोसा,
पकौड़ा, इमली अमचूर जिमिकन्द की सब्जी बनाकर खाए।
मुली की सब्जी बनाकर खाए बवासीर मे बहुत अच्छी है। भुना
हुआ जीरा, काली मिर्च और सैंधा नमक मिला कर प्रतिदिन
दहि की लस्सी /छाछ जरूर पिए। आयुर्वेद मे लिखा है “जैसे आग
मे भुने हुए अन्न के दाने दोबारा नहीं पैदा होते वैसे छाछ के
प्रयोग से नष्ट बवासीर के मस्से दोबारा नही होते !
2) औषिधि बनाने की विधि :
अरीठे या रीठा (Soap nut) के फल में से बीज निकाल कर शेष
भाग को लोहे की कढाई में डालकर आंच पर तब तक चढ़ाए रखे
जब तक वह कोयला न बन जाए जब वह जल कर कोयले की तरह हो
जाए तब आंच पर से उतार कर सामान मात्रा में पपडिया कत्था
मिलाकर कपडछन (सूती कपडे से छान कर) चूर्ण कर ले बस अब ये
औषिधि तैयार है।
औषिधि सेवन करने का तरीका :
इस तैयार औषिधि में से एक रत्ती (125मिलीग्राम ) लेकर मक्खन
या मलाई के साथ सुबह-शाम लेते रहे, इस प्रकार सात दिन तक
दवाई लेनी होती है।
इस औषिधि के मात्र सात दिन तक लेते रहने से ही कब्ज, बवासीर
की खुजली, बवासीर से खून बहना आदि दूर होकर मरीज को
राहत महसूस करने लगता है।
यदि मरीज इस रोग के लिए सदा के लिए छुटकारा पाना चाहे
तो उन्हें हर छ: महीने के बाद फिर से 7 दिन का यह कोर्स
बिलकुल इसी प्रकार दोहरा लेना चाहिए।
औषिधि सेवन के दौरान परहेज़ :
'' ध्यान रखे की औषिधि लेते समय सात दिन नमक का सेवन
बिलकुल नहीं करना है ।
देशी इलाज में पथ्यापथ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है कई
रोगों में तो दवाई से ज्यादा तो पथ्य आहार जादा कारगर
होता है।
औषिधि सेवन के दौरान क्या-क्या खाएं :
मुंग या चने की दाल, कुल्थी की दाल, पुराने चावलों का भात,
सांठी चावल, बथुआ, परवल, तोरई, करेला, कच्चा पपीता, गुड,
दूध, घी, मक्खन, काला नमक, सरसों का तेल, पका बेल, सोंठ
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चाहिए।
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Pranit mishra
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