त्रिफला चुर्ण के गुण और फायदे( trifala churn ke gun or fayde)-
त्रिफला चूर्ण-
आवला, हरड़ और बहेड़ा इन तीन द्रव्यों से मिलकर बना
यह चूर्ण करीब करीब आयुर्वेद की अधिकान्स दवाओं के
निर्माण में प्रयोग की जाती है /
इस चूर्ण का प्रभाव Gastro Intestinal Tract पर सबसे
अधिक होता है / इसके उपयोग से आन्तों के peristelitic
movement नियमित कार्य करने लगते है और आन्तों की
गति को कुदरती शक्ति देते है / इसका प्रभाव आमाशय
पर भी पड़ता है और अधिक अम्ल बनने की प्रक्रिया
को रोकता है /
इसका उप्योग कब्ज दूर करने, अम्ल पित्त की तकलीफ,
शरीर के metabolism को सुधारने, आन्तों की
तकलीफो मे उपयोग करते है /
यद्यपि इस चुर्ण का उप्योग अन्य बीमारियॊ में भी
करते है, लेकिन इसके लिये किसी वैद्य की सलाह लेकर
उप्योग करना चाहिये /
मात्रा ; एक से पान्च ग्राम , सादे पानी, गुन्गुने जल
अथवा दूध या शहद से दिन मे एक या दो बार लेना
चाहिये
यह चूर्ण भूख को बढाने वाला, अग्नि दीपक, , कफ
रोग, अजीर्ण, उदावर्त, उदर रोग, प्लीहा व्रद्धि,अर्श,
गुल्म, कास, श्वास, यक्ष्मा, रक्त के अन्दर पैदा Toxic
effects, Necrosis of any body parts में उपयोगि है ।
; इसे गुनगुने जल, दही के पानी अथवा शराब या
मद्य में पानी मिलाक्रर, के साथ १ से ३ ग्राम की
मात्रा में दिन में दो बार सुबह शाम ,लेना चाहिय
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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आवला, हरड़ और बहेड़ा इन तीन द्रव्यों से मिलकर बना
यह चूर्ण करीब करीब आयुर्वेद की अधिकान्स दवाओं के
निर्माण में प्रयोग की जाती है /
इस चूर्ण का प्रभाव Gastro Intestinal Tract पर सबसे
अधिक होता है / इसके उपयोग से आन्तों के peristelitic
movement नियमित कार्य करने लगते है और आन्तों की
गति को कुदरती शक्ति देते है / इसका प्रभाव आमाशय
पर भी पड़ता है और अधिक अम्ल बनने की प्रक्रिया
को रोकता है /
इसका उप्योग कब्ज दूर करने, अम्ल पित्त की तकलीफ,
शरीर के metabolism को सुधारने, आन्तों की
तकलीफो मे उपयोग करते है /
यद्यपि इस चुर्ण का उप्योग अन्य बीमारियॊ में भी
करते है, लेकिन इसके लिये किसी वैद्य की सलाह लेकर
उप्योग करना चाहिये /
मात्रा ; एक से पान्च ग्राम , सादे पानी, गुन्गुने जल
अथवा दूध या शहद से दिन मे एक या दो बार लेना
चाहिये
यह चूर्ण भूख को बढाने वाला, अग्नि दीपक, , कफ
रोग, अजीर्ण, उदावर्त, उदर रोग, प्लीहा व्रद्धि,अर्श,
गुल्म, कास, श्वास, यक्ष्मा, रक्त के अन्दर पैदा Toxic
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; इसे गुनगुने जल, दही के पानी अथवा शराब या
मद्य में पानी मिलाक्रर, के साथ १ से ३ ग्राम की
मात्रा में दिन में दो बार सुबह शाम ,लेना चाहिय
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